गीता द्वादश अध्याय श्लोक ll 6 ll ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि सन्नयस्य मत्पराः। अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते॥ हिन्दी अनुवाद परन्तु जो मेरे परायण रहने वाले भक्तजन सम्पूर्ण कर्मों को मुझमें अर्पण करके मुझ सगुणरूप परमेश्वर को ही अनन्य भक्तियोग से निरन्तर चिन्तन करते हुए भजते हैं। इस श्लोक का विशेष भाव जानने के लिए गीता अध्याय 11 श्लोक 55 देखना चाहिए॥