गीता एकादश अध्याय
श्लोक ll 45 ll
तदेव मे दर्शय देवरूपंप्रसीद देवेश जगन्निवास॥
हिन्दी अनुवाद
मैं पहले न देखे हुए आपके इस आश्चर्यमय रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अति व्याकुल भी हो रहा है, इसलिए आप उस अपने चतुर्भुज विष्णु रूप को ही मुझे दिखलाइए। हे देवेश! हे जगन्निवास! प्रसन्न होइए ॥
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