गीता एकादश अद्याय
श्लोक ll28 ll
तथा तवामी नरलोकवीराविशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति॥
हिंदी अनुवाद
जैसे नदियों के बहुत-से जल के प्रवाह स्वाभाविक ही समुद्र के ही सम्मुख दौड़ते हैं अर्थात समुद्र में प्रवेश करते हैं, वैसे
वे नरलोक के वीर भी आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश कर रहे हैं ॥
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें