गीता द्वादस अध्याय
श्लोक ll 5 ll
अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते॥
हिन्दी अनुवाद
उन सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म में आसक्त चित्तवाले पुरुषों के साधन में परिश्रम विशेष है क्योंकि देहाभिमानियों द्वारा अव्यक्तविषयक गति दुःखपूर्वक प्राप्त की जाती है ॥
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