इस संसार मेरे भगवान श्री कृष्ण के उपदेशो से भरी श्रीमद गीता के समान दूसरा धर्मग्रंथ नहीँ | घर में मनुष्य को करनी होगी बनाता है और यह किसी प्राप्त सिद्धि के समान ही उज्जवल है संसार में जब-जब धर्म की हानि होती है मैं अवश्य अवतार लेता हूं हे पार्थ यह तुम्हारा और मेरा पहला जन्म नहीं है हमारे लाखों जन हो चुके हैं लेकिन तुम्हें याद नहीं पर मुझे सब याद है चिंतन और चिंता सुनने पढ़ने और लिखने में सामान भले हैं मगर दोनों का अर्थ भिन्न है चिंतन अर्थात हम जिस विषय पर चिंतन करते हैं उसका परिणाम बेहतर होता है मगर चिंता हमें चीता के समीप ले जा सकता है ज्ञान और अंधकार हमारे खुद के भीतर होता है परंतु यह कभी श्याम राशन नहीं हो सकता इसलिए इसे रोशन करने के लिए हमारे मनोबल की आशा करते हैं
गीता अध्याय ll18 ll श्लोक ll 78 ll यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥ हिंदी अनुवाद हे राजन! जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन है, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है ॥