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16-shree-krishna-hindi-meaningful-quotes : भगवान श्रीं कृष्ण के उपदेश

इस संसार मेरे भगवान श्री कृष्ण के उपदेशो से भरी श्रीमद गीता के समान दूसरा धर्मग्रंथ नहीँ |  घर में मनुष्य को करनी होगी बनाता है और यह किसी प्राप्त सिद्धि के समान ही उज्जवल है  संसार में जब-जब धर्म की हानि होती है मैं अवश्य अवतार लेता हूं  हे पार्थ यह तुम्हारा और मेरा पहला जन्म नहीं है हमारे लाखों जन हो चुके हैं लेकिन तुम्हें याद नहीं पर मुझे सब याद है   चिंतन और चिंता सुनने पढ़ने और लिखने में सामान भले हैं मगर दोनों का अर्थ भिन्न है चिंतन अर्थात हम जिस विषय पर चिंतन करते हैं उसका परिणाम बेहतर होता है मगर चिंता हमें चीता के समीप ले जा सकता है   ज्ञान और अंधकार हमारे खुद के भीतर होता है परंतु यह कभी श्याम राशन नहीं हो सकता इसलिए इसे रोशन करने के लिए हमारे मनोबल की आशा करते हैं 
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गीता अध्याय ll 18 ll, श्लोक ll 78 ll

गीता अध्याय ll18 ll श्लोक ll 78 ll यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥ हिंदी अनुवाद  हे राजन! जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन है, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है ॥ 

गीता अध्याय ll18 ll, श्लोक ll 77 ll

गीता अध्याय ll 18 ll श्लोक ll 77 ll तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः। विस्मयो मे महान्‌ राजन्हृष्यामि च पुनः पुनः॥ हिंदी अनुवाद  हे राजन्‌! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम 'हरि' है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ॥

गीता अध्याय ll 18 ll, श्लोक ll 76 ll

गीता अध्याय ll 18 ll श्लोक ll 76 ll राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम्‌। केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः॥ हिंदी अनुवाद  हे राजन! भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त, कल्याणकारक और अद्‍भुत संवाद को पुनः-पुनः स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ॥

गीता अध्याय ll 18 ll, श्लोक ll 75 ll

गीता अध्याय ll 18 ll श्लोक ll 75 ll व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्‍गुह्यमहं परम्‌। योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम्‌॥ हिंदी अनुवाद  व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्‍गुह्यमहं परम्‌। योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम्‌॥ श्री व्यासजी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग को अर्जुन के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण से प्रत्यक्ष सुना ॥

गीता अध्याय ll 18 ll, श्लोक ll 74 ll

गीता अध्याय ll18 ll श्लोक ll 74 ll संजय उवाच इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मनः। संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम्‌॥ हिंदी अनुवाद  संजय बोले- इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अद्‍भुत रहस्ययुक्त, रोमांचकारक संवाद को सुना ॥

गीता अध्याय ll 18 ll, श्लोक ll 73 ll

गीता अध्याय ll 18 ll श्लोक ll 73 ll अर्जुन उवाच नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वप्रसादान्मयाच्युत। स्थितोऽस्मि गतसंदेहः करिष्ये वचनं तव॥ हिंदी अनुवाद  अर्जुन बोले- हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थिर हूँ, अतः आपकी आज्ञा का पालन करूँगा ॥ संजय उवाच