गीता अध्याय ll 18 ll
श्लोक ll 77 ll
विस्मयो मे महान् राजन्हृष्यामि च पुनः पुनः॥
हिंदी अनुवाद
हे राजन्! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम 'हरि' है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ॥
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