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गीता त्रयोदश अध्याय,श्लोक ll 24 ll


गीता त्रयोदश अध्याय  

श्लोक ll 24 ll

ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।
अन्ये साङ्‍ख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे॥

हिन्दी अनुवाद 

उस परमात्मा को कितने ही मनुष्य तो शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि से ध्यान (जिसका वर्णन गीता अध्याय 6 में श्लोक 11 से 32 तक विस्तारपूर्वक किया है) द्वारा हृदय में देखते हैं, अन्य कितने ही ज्ञानयोग (जिसका वर्णन गीता अध्याय 2 में श्लोक 11 से 30 तक विस्तारपूर्वक किया है) द्वारा और दूसरे कितने ही कर्मयोग (जिसका वर्णन गीता अध्याय 2 में श्लोक 40 से अध्याय समाप्तिपर्यन्त विस्तारपूर्वक किया है) द्वारा देखते हैं अर्थात प्राप्त करते ||

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