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गीता द्वितीय अध्याय, श्लोक ll52 ll

गीता द्वितीय अध्याय 

श्लोक ll 52 ll

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरि ॥
 तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च॥

हिंदी अनुवाद 

जिस काल में तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को भलीभाँति पार कर जाएगी, उस समय तू सुने हुए और सुनने में आने वाले इस लोक और परलोक संबंधी सभी भोगों से वैराग्य को प्राप्त हो जाए ॥

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