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गीता प्रथम अध्याय, श्लोक ll 40 ll

गीता प्रथम अध्याय 

श्लोक ll 40 ll 

इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते।
 एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनम्‌॥

हिंदी अनुवाद 

इन्द्रियाँ, मन और बुद्धि- ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं। यह काम इन मन, बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता है ॥
 

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