अध्याय ll 18 ll
श्लोक ll 35 ll
न विमुञ्चति दुर्मेधा धृतिः सा पार्थ तामसी॥
हिंदी अनुवाद
हे पार्थ! दुष्ट बुद्धिवाला मनुष्य जिस धारण शक्ति के द्वारा निद्रा, भय, चिंता और दु:ख को तथा उन्मत्तता को भी नहीं छोड़ता अर्थात धारण किए रहता है- वह धारण शक्ति तामसी है ॥
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें