गीता अध्याय ll 18 ll
श्लोक ll 26 ll
सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते॥
हिंदी अनुवाद
जो कर्ता संगरहित, अहंकार के वचन न बोलने वाला, धैर्य और उत्साह से युक्त तथा कार्य के सिद्ध होने और न होने में हर्ष -शोकादि विकारों से रहित है- वह सात्त्विक कहा जाता है ॥
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