गीता अध्याय ll 18 ll
श्लोक ll 7 ll
मोहात्तस्य परित्यागस्तामसः परिकीर्तितः॥
हिंदी अनुवाद
(निषिद्ध और काम्य कर्मों का तो स्वरूप से त्याग करना उचित ही है) परन्तु नियत कर्म का (इसी अध्याय के श्लोक 48 की टिप्पणी में इसका अर्थ देखना चाहिए।) स्वरूप से त्याग करना उचित नहीं है। इसलिए मोह के कारण उसका त्याग कर देना तामस त्याग कहा गया है ॥
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