गीता अध्याय ll16 ll
श्लोक ll 18 ll
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः॥
हिंदी अनुवाद
वे अहंकार, बल, घमण्ड, कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं ॥
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