गीता अध्याय ll 15 ll
श्लोक ll 11 ll
यतन्तोऽप्यकृतात्मानो नैनं पश्यन्त्यचेतसः॥
हिंदी अनुवाद
यत्न करने वाले योगीजन भी अपने हृदय में स्थित इस आत्मा को तत्त्व से जानते हैं, किन्तु जिन्होंने अपने अन्तःकरण को शुद्ध नहीं किया है, ऐसे अज्ञानीजन तो यत्न करते रहने पर भी इस आत्मा को नहीं जानते ॥
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