गीता अध्याय ll 15 ll
श्लोक ll 20 ll
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत॥
हिंदी अनुवाद
हे निष्पाप अर्जुन! इस प्रकार यह अति रहस्ययुक्त गोपनीय शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया, इसको तत्त्व से जानकर मनुष्य ज्ञानवान और कृतार्थ हो जाता है॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुन संवादे पुरुषोत्तमयोगो नाम पञ्चदशोऽध्यायः
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें