गीता त्रयोदश अध्याय हिन्दी अनुवाद
श्लोक ll 34 ||
भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्॥
हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को (क्षेत्र को जड़ विकारी, क्षणिक और नाशवान तथा क्षेत्रज्ञ को नित्य, चेतन अविकारी और अविनाशी जानना ही 'उनके भेद को जानना है) तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान नेत्रों द्वारा तत्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं ॥
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें