गीता त्रयोदश अध्याय
श्लोक ll 28 ll
न हिनस्त्यात्मनात्मानं ततो याति परां गतिम्॥
हिन्दी अनुवाद
क्योंकि जो पुरुष सबमें समभाव से स्थित परमेश्वर को समान देखता हुआ अपने द्वारा अपने को नष्ट नहीं करता, इससे वह परम गति को प्राप्त होता है
क्योंकि जो पुरुष सबमें समभाव से स्थित परमेश्वर को समान देखता हुआ अपने द्वारा अपने को नष्ट नहीं करता, इससे वह परम गति को प्राप्त होता है
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