गीता त्रयोदश अध्याय
श्लोक ll 17 ll
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्॥
हिन्दी अनुवाद
वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति (गीता अध्याय 15 श्लोक 12 में देखना चाहिए) एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है। वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय में विशेष रूप से स्थित है ॥
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