गीता द्वितीय अध्याय
श्लोक ll 20 ll
न जायते म्रियते वा कदाचि-
न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
हिंदी अनुवाद
यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है, तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जा सकता ॥
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