गीता द्वितीय अध्याय
श्लोक ll 15 ll
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥
हिंदी अनुवाद
हे कुंतीपुत्र! सुख दुख को सामान समझने वाले जिस धीर पुरुष को इन्द्रिय भी बयाकुल नहीँ करते उनको तू सहन कर, उनको तू सहन कर, ये दोनों मोक्षः के योग है ॥
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