गीता द्वितीत अधयाय
श्लोक ll 11 ll
( सांख्ययोग का विषय )
श्री भगवानुवाच
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥
हिंदी अनुवाद
श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! तू न शोक करने योग्य मनुष्यों के लिए शोक कर रहा है और पण्डितों के सामान ऐसे वचनों को कह रहा है, परन्तु जिनके प्राण चले गए हैं, उनके लिए और जिनके प्राण नहीं गए हैं उनके लिए भी पण्डितजन शोक नहीं करते ॥
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