गीता प्रथम अध्याय
श्लोक ll 27 ll
तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान् बन्धूनवस्थितान्॥
कृपया परयाविष्टो विषीदत्रिदमब्रवीत्।
हिन्दी अनुवाद
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उन उपस्थित सम्पूर्ण बंधुओं को देखकर वे कुंतीपुत्र अर्जुन अत्यन्त करुणा से युक्त होकर शोक करते हुए यह वचन बोले ll
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